IDC रेंज क्या होती है और क्यों हमे EV में IDC रेंज से कम रेंज प्राप्त होती है

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IDC का फुल फॉर्म indian driving condition है या इसे कुछ क्षेत्र में इंडियन ड्राइविंग cycle भी कहा जाता है 

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सामान्यतः इसे किसी भी electric vehicle का रेंज मापने के लिए उपयोग किया जाता है 

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इन EV की रेंज को ARAI या ICAT जैसी एजेंसी मापती है जब कोई भी कम्पनी अपना व्हीकल लॉन्च करती है 

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जिस भी व्हीकल का IDC रेंज निकालना होता है उस व्हीकल में एक निश्चित भार वाले व्यक्ति को बिठाया जाता है 

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वह व्यक्ति उस व्हीकल को फुल चार्ज से 0% चार्जिंग ख़तम होने तक एक ट्रैक या लैब में चलाया जाता है  

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जब 100-0% तक बैटरी ख़त्म हो जाती है तो व्हीकल के डैशबोर्ड में रेंज दिखाई दे देती है और उसी को IDC रेंज कहा जाता है 

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विशेषज्ञों की माने तो किसी भी व्हीकल का IDC रेंज रियल रेंज से 25% अधिक होता है 

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स्वाभाविक-सी बात है की जब भी आप अपने व्हीकल को इको मोड या एक निश्चित लो स्पीड में व्हीकल को चलाएंगे तो आपको रेंज ज्यादा प्राप्त होगी 

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जब आप अपने व्हीकल को टॉप स्पीड में चलाएंगे तो ज्यादा पॉवर कंसम्पशन होगा जिससे की रेंज भी कम प्राप्त होगी | 

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