जानिए IDC रेंज क्या होती है और क्यूँ हमे electric vehicle में IDC रेंज से कम रेंज प्राप्त होती है

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जब भी आप एक नया electric व्हीकल खरीदने जाते है या खरीद चुके होते है तो अक्सर आपको कंपनी द्वारा electric व्हीकल की IDC रेंज या सर्टिफाइड रेंज बताई जाती है की यह electric व्हीकल एक बार फुल चार्ज होने पर इतने किलोमीटर तक चल सकता है

लेकिन जब आप अपने व्हीकल को घर लाते है और फुल चार्ज करने के बाद आप रेंज चेक करने के लिए अपने व्हीकल को लॉन्ग ड्राइव या in city यूज़ करके रेंज का पता लगाते है तो आपको अक्सर कम्पनी द्वारा बताई गयी IDC रेंज से कम ही रेंज प्राप्त होती है तो इसी टॉपिक के बारे में हम आज आपको इस लेख में IDC रेंज की पूरी जानकारी देने वाले है और यह भी बताएँगे आपको रेंज क्यूँ कम मिलती है और रेंज को किस तरह से बढ़ाया जा सकता है |

जानिए IDC रेंज क्या होती है और क्यूँ हमे electric vehicle में IDC रेंज से कम रेंज प्राप्त होती है

IDC रेंज क्या होती है ?

IDC का फुल फॉर्म indian driving condition है या इसे कुछ क्षेत्र में इंडियन ड्राइविंग cycle भी कहा जाता है सामान्यतः इसे किसी भी electric vehicle का रेंज मापने के लिए उपयोग किया जाता है और इन EV की रेंज को ARAI या ICAT जैसी एजेंसी मापती है जब कोई भी कम्पनी अपना व्हीकल लॉन्च करती है कम्पनी को अपने व्हीकल को ARAI या ICAT एजेंसी के पास रेंज चेक करने के लिए भेजना होता है उसके बाद यह एजेंसी उस व्हीकल का रेंज एप्रूव्ड/माप करके देती है जिसे IDC रेंज या सर्टिफाइड रेंज कहा जाता है |

IDC रेंज कैसे निकाला जाता है ?

जिस भी व्हीकल का IDC रेंज निकालना होता है उस व्हीकल में एक निश्चित भार वाले व्यक्ति को बिठाया जाता है और वह व्यक्ति उस व्हीकल को फुल चार्ज से 0% चार्जिंग ख़तम होने तक एक ट्रैक या लैब में चलाया जाता है और जब लैब में इनकी टेस्टिंग की जाती है तो लैब की वो सभी कंडीशन को अपनाया जाता है जो की भारतीय सड़को के मुताबिक होती है और जब 100-0% तक बैटरी ख़त्म हो जाती है तो व्हीकल के डैशबोर्ड में रेंज दिखाई दे देती है और उसी को IDC रेंज कहा जाता है लेकिन अब सवाल उठता है की हमे अक्सर IDC रेंज से कम रेंज क्यूँ प्राप्त होती है ?

हमे अक्सर IDC रेंज से कम रेंज क्यूँ प्राप्त होती है ?

विशेषज्ञों की माने तो किसी भी व्हीकल का IDC रेंज रियल रेंज से 25% अधिक होता है क्यूंकि IDC रेंज को कंटिन्यू एक ट्रैक या लैब में चलाकर निकाला जाता है लेकिन हम असल दुनिया में अपने व्हीकल को कई बार तेजी से थ्रोटल देकर चलाते है या कभी हमे खराब सड़के और ब्रकेर्स मिलते है जिसकी वजह से बार बार ब्रेक्स का इस्तेमाल होता है और इसी वजह से एक लय या गति में लंबे समय तक हमारा व्हीकल रोड में नहीं चल पाता है इसीलिए हमे कम रेंज प्राप्त होती है |

स्वाभाविक-सी बात है की जब भी आप अपने व्हीकल को इको मोड या एक निश्चित लो स्पीड में व्हीकल को चलाएंगे तो आपको रेंज ज्यादा प्राप्त होगी और जब आप अपने व्हीकल को टॉप स्पीड में चलाएंगे तो ज्यादा पॉवर कंसम्पशन होगा जिससे की रेंज भी कम प्राप्त होगी |

उदहारण : आप OLA कम्पनी का s1 pro gen 2 electric scooter खरीदते है जिसमे आपको कम्पनी बताती है की हमारा यह scooter आपको सिंगल चार्ज में 190कम्म की रेंज प्रोवाइड करेगा लेकिन जब ola s1 pro scooter की रेंज को कस्टमर्स ने रियल लाइफ में चेक किया तो वो केवल 140km से 145km तक ही प्राप्त हो पायी और अधिकांश रूप से रेंज में उतार-चढ़ाव आपके चलाने के तरीके पर भी निर्भर करता है | अधिक से अधिक रेंज प्राप्त करने के लिए आप अपने व्हीकल को इको मोड में ही चलाये |

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gautam bhavna

मेरा नाम भावना गौतम है मैंने हिंदी साहित्य में स्नातक किया है और मुझे हिंदी राइटिंग करना अच्छा लगता है और मुझे कंटेंट राइटिंग करते हुए 2.5 साल हो गए और आज मै evehiclegyan.com पर ev से जुडी खबरे आपके साथ साझा करती हु

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